आईल जब पश्चीम से टीवी, बीवी के डीजाईन बदल गईल !
देखा२ के फैशन फीलीम, साड़ी छोड़ जींस मील गईल !!
चले लगली बीन अंचरा ओढ़नी, के सब कुछ खुला हो गईल !
बब कट में बाल कटवली, इन्ग्लीश्तानी चाल हो गईल !!
कुवांर में खाली कपड़ा पेन्हे, ओकरा नाक छोड़ ढोढी में छेद बा !
आईत ना जब पश्चीम से टीवी त के कहीत की ओकरे में दोष बा ?
आईल कंप्यूटर बदलल दुनीया, इन्टरनेट सब संस्कार हो गईल !
घर बईठ्ले चेटींग होखे त, डेटींग खातीर मन मचल गईल !!
का करी अब सरकार कवनो, डेटींग बड़का फैशन बन गईल !
मनवा मस्त भईल इ सभ्यता में, आपण सभ्यता भुला गईल !!
लउके के चाही कमर पीठ, ओकरा से कुवांर के कहा आश बा !
इ सभ्यता पश्चीम के ही ह, ना त के कहीत की ओकरे में दोष बा ?
भावुक कहलन मादा संग मादा, नर के संगे नर घरे आईल !
रंग देख रंग बदले दुनीया एगो, मछ्ङी से पूरा तलाब गईल !!
सवींधान बदले चाहे बदले धारा, सम्लैंगीक ही परीवार भईल !
चोरी चोरी होखे चाहे मीले समर्थन, जन संख्या कंट्रोल भईल !!
आपन संस्कृती प दाग लागल, इ में खाली नेतन के दोष बा !
सम्लैंगीक ह पश्चीमी सभ्यता, सब कही की ओकरे में दोष बा ?
नक़ल करे के त पुरान परम्परा, त इँडीयन आईडल नकलची भईल !
मास्टर ब्लास्टर आई पी एल में बाड़न, कुछ दीन में पी पी एल आईल !!
क्रीकेट काँउटी में लीट्ल मास्टर रहलन, त काँउटी के मान बढ़ गईल !
कमाई आ कुछ करे के जज्बा, तबे 83,2011 में इतीहाश बन गईल !!
हार जीत दुनो ह जीन्दगी, इ मत सोची की आपन टीमे में खोट बा !
अईसन सोच ह पश्चीमी सभ्यता, त सब कही की ओकरे में दोष बा !!
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